उठ चलो भारतीयों
आए मेरे प्यारे देश वासियो
आए मेरे प्यारे देश वासियो
क्यों अब्भी धर्म पर लड़ते हो
आज़ादी मिले अरसा होगया,
पर अब्भी वही रहा चल पड़ते हो।
जो सपने दिखाए हमें महात्मा
जो रहा सुझाई हमें बोस
अब मनो बिखर सी गई वो आत्मा
अब थम सा गया वो जोश।
आज़ादी मिले तो अरसा होगया
पर खो बैठे शायद वो होश
उम्मीद जगी आंबेडकर के होने से
हम भी इंसान है भले ही छोटी जात होने से
पर अब शर्म आचला इंसान ही होने का
उस सूद्र कोभी दुःख है अपनों को खोने का।
आज़ादी मिले तो बरसो बीते
क्यों नहीं हम एकता की डोर आज सिते
ये देश जो सिखाये विभिन्त की विशेषता
जो जोड़े हमें हर धर्म हर प्रांत से
हम तो फिर भी भारत वासी है
नजाने क्यों लोगो में है वो खेद
क्यों नहीं समझ पा रहे वो इतना सा ये भेद
आज़ादी को मिले 73 वर्ष बीते
फिर भी हम वही जात पात की डोर सीते।
ना डर है हमें धर्म का
और नाही किसी भरम का
डर है तो केवल उस इंसान का
जो खिलाफ है इस प्यारे प्रांत का।
ये बाते बहोत है कहने को
जीवन में दुःख बहुत है सहने को
कुछ ही चीज़े है समझने को
एकता वही , साथ में रहने को
~उमेश सूर्या
Beta ase he kavita likha karo bohot ache
ReplyDeletegreat bro , keep it up .
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