वीरता



वीरता 

किस मिट्टी से  बने हैं वो 
मानो कठिनाइयों से तने हैं वो 
इस धरती पर ही पने हैं वो 
 मानो स्वर्ग में पले हैं वो 

दिन रात इंसान आखिर किसकी बोली गए 
क्या कहने उसके ,
जो देश के लिए अमर होजाए 
वो छोड़ चले परिवार अपने देश के लिए 
कैसे चुकायेंगे हम वो एहसान 
उनके इस पेश के लिए 

वो छोड़ चला परिवार उसे देश प्यारा था 
आखिर वोभी किसी माँ का दुलारा था 

इन बीते वर्षो में कई जंग देखी है 
पर उस अग्नि की मार आखिर उन्होंने सेकि है 
उनकी वीरता मानो पर्वत सी कठोर है 
कोई हिला दे इन्हे आखिर किसमें वो जोर है 

आखिर ये जीवन सबको प्यारा है 
वोभी किसी माँ का दुलारा है 

उस सहस और बल के क्या कहने 
उनका मन भी करे घर साथ रहने 
वो लहू जो उनकी रेखाओ में पनपता 
नाजाने  वो वीर किसका नाम जपता 

वो योद्धा कभी ना हारा है 
आखिर वोभी किसी माँ का दुलारा है 

कितनो में साहस है वीर बनने को 
कितनो में है बल उस अग्नि से तपने को 
हमने क्या किया है, जो इतना है अभिमान 
वही है वीर उनका रखो सम्मान 

वो वीर चमकता तारा है 
 वोभी किसी माँ का दुलारा है 

जिस उम्र में हम दुनिया देखते 
उस उम्र में नजाने वो कितनी कठिनाइया सेहेते 
जिस उम्र में हम कुछ साबित कर पाते 
उस उम्र में वो वीरगति को प्राप्त होजाते 
उम्र तो बस खींची गए एक लकीर है 
हम ज़िंदा इसीलिए है ,
क्यू की वह भारत का वीर है 

वो योद्धा जलता शरारा है 
आखिर वोभी किसी माँ का दुलारा है 

जब अमन और शान्ति की बात सब करते है 
फिर हम आपस में क्यों लड़ते है 
अपने साथी को खोने पे क्या दुःख होता है 
अपने असू छुपाता नजाने कैसे वो रोता है 
उनकी वीरता पे हमें है मान 
पूरा देश करता है उनका सम्मान 

"जय जवान जय किसान" ही देश में नारा है 
आखिर वोभी किसी माँ का दुलारा है 

                                                         ~उमेश सूर्या 

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