स्वतंत्र दिवस
स्वतंत्र दिवस फिर एक बार वो स्वतंत्र दिवस जो आया घर ही घर फिर वो ध्वज लेहेराया हर वासी भारत माँ के गीत जो गाया मन ही मन दिल यु फिर मुस्कुराया कुछ खास जो इस देश की बातें है एकसाथ हमें जो यु जोड़े जाते है उत्तर में जो हिमालय विराजमान है देश की शृंखला जो भारत की जान है वहां बैठे हमारे वीर वो इस देश की शान है भारत की ससंस्कृति जिसपर हमें स्वाभिमान है राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह उनका ही बलिदान है कैसे भूलेंगे वो जलियाँवाला बाग की वो गोलिया जब देश गा रहा था इंक़लाब की बोलिया ये महात्माओ की जो भूमि है यहाँ पवित्र गंगा का वास है कभी दिवाली कभी दसशेरा तो कभी ईद ए मिलाद है इसीलिए इस देश में कुछ खास है हमें भारतीय होने पर नाज़ है लकीरो से नापा गाया ये जो संसार है भारत माने आखिर ये सब अपना ही परिवार है इस पावन भूमि में एकता का जो प्यार है शायद एहि है जो जीवन जीने का सार है आज फिर वो ध्वज जो यु लेहेराय गर्व से मन फिर यु उठ पाया आखिर स्वत्रन्त्र दिवस जो आया मन ही मन दिल फिर यु मुस्कुराया
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